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Mayawati ने राहुल गांधी पर निशाना साधा, कहा- उनके खतरनाक बयान से सावधान रहें

Mayawati: हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बयान दिया था कि वे आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। इस बयान का मायावती ने तीखा प्रतिवाद किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए, मायावती ने राहुल गांधी के इस स्पष्टीकरण को “स्पष्ट रूप से भ्रामक और झूठा बयान” करार दिया। उनका कहना है कि यह बयान इस तथ्य का प्रमाण है कि जब राहुल गांधी और उनकी पार्टी के लोग केंद्र में सत्ता में थे, तब उन्होंने एससी/एसटी के प्रमोशन के आरक्षण बिल को पारित नहीं होने दिया था। इसके साथ ही, देश में आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत बढ़ाने की बात भी एक धोखा है, क्योंकि यदि उनकी मंशा इस मुद्दे को लेकर साफ होती, तो यह काम कांग्रेस की पिछली सरकारों में जरूर हो चुका होता।

Mayawati ने राहुल गांधी पर निशाना साधा, कहा- उनके खतरनाक बयान से सावधान रहें

मायावती का राहुल गांधी पर हमला

मायावती ने आगे लिखा कि यह स्पष्ट है कि जब कांग्रेस सत्ता में नहीं होती, तो यह दल चुनावों के दौरान इन उपेक्षित वर्गों के हितों और कल्याण की बड़ी-बड़ी बातें करता है, लेकिन सत्ता में आते ही इन वर्गों के हितों के खिलाफ लगातार काम करता है। उन्होंने इस साजिश से सावधान रहने की बात की। उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी लंबे समय तक केंद्र में सत्ता में रही, लेकिन उसने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और न ही एससी/एसटी आरक्षण को ठीक से लागू किया। कांग्रेस पार्टी जो देश में जाति जनगणना करवा रही है, अब सत्ता में आने का सपना देख रही है। उनकी इस साजिश से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि वे भविष्य में जाति जनगणना करवाने में कभी सक्षम नहीं होंगे। अब कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो राहुल गांधी के उस नाटक से सावधान रहें, जिसमें उन्होंने विदेश में कहा था कि जब भारत की स्थिति बेहतर होगी, हम एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण खत्म कर देंगे। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इनके आरक्षण को समाप्त करने की साजिश कर रही है।

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राहुल गांधी के बयान पर मायावती की प्रतिक्रिया

मायावती ने लिखा कि इन वर्गों के लोगों को राहुल गांधी द्वारा दिए गए इस खतरनाक बयान से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि जैसे ही यह पार्टी केंद्र में सत्ता में आएगी, यह अपने बयान के बहाने उनके आरक्षण को समाप्त कर देगी। लोगों को इस पार्टी से सावधान रहना चाहिए, जो संविधान और आरक्षण को बचाने का ढोंग करती है, जबकि वास्तव में कांग्रेस शुरू से ही एंटी-आरक्षण रही है। जब उनकी सरकार में आरक्षण कोटा पूरा नहीं हुआ, तो बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इस पार्टी से न्याय न मिलने के कारण कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। लोगों को सावधान रहना चाहिए। कुल मिलाकर, जब तक जातिवाद देश से पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाता, तब तक भारत की स्थिति भले ही बेहतर हो, लेकिन इन वर्गों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति में सुधार नहीं होगा। इसलिए जातिवाद को पूरी तरह से समाप्त करने तक आरक्षण की सही संवैधानिक व्यवस्था को जारी रखना आवश्यक है।

कांग्रेस का विरोधाभास और आरक्षण का मुद्दा

मायावती ने कांग्रेस के प्रति अपनी कड़ी प्रतिक्रिया में यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। जब कांग्रेस सत्ता में होती है, तो यह आरक्षण को लेकर सख्त नियमों और योजनाओं की बात करती है, लेकिन सत्ता में आते ही उन योजनाओं को लागू करने में विफल रहती है। इसके अलावा, राहुल गांधी का बयान कि जब भारत की स्थिति बेहतर होगी, तब वे आरक्षण को खत्म कर देंगे, यह कांग्रेस की आरक्षण विरोधी नीति की पुष्टि करता है। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी की आरक्षण के प्रति कोई वास्तविक प्रतिबद्धता नहीं है, बल्कि यह केवल चुनावी रणनीति के तहत ऐसा बयान देती है।

समाज में जातिवाद और आरक्षण की आवश्यकता

जातिवाद का भारत के समाज पर गहरा असर पड़ा है और इसने विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच असमानता को बढ़ावा दिया है। आरक्षण एक ऐसा महत्वपूर्ण उपाय है जो समाज में समानता स्थापित करने के लिए लागू किया गया है। यह न केवल एससी/एसटी और ओबीसी वर्गों के लिए अवसर प्रदान करता है, बल्कि समाज में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में भी एक कदम है। जब तक जातिवाद पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाता, तब तक आरक्षण की सही और प्रभावी प्रणाली की आवश्यकता बनी रहती है।

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निष्कर्ष

मायावती की राहुल गांधी पर की गई टिप्पणी कांग्रेस पार्टी की वास्तविक नीयत और उसके द्वारा आरक्षण के मुद्दे पर उठाए गए कदमों पर सवाल उठाती है। यह स्पष्ट है कि जातिवाद और आरक्षण के मुद्दे पर राजनीति होती रही है, और सत्ता में आने के बाद कई दल अपने वादों से मुकर जाते हैं। समाज में जातिवाद के खिलाफ संघर्ष और आरक्षण की सही और प्रभावी व्यवस्था की जरूरत है ताकि समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित किया जा सके। इस संदर्भ में, सभी वर्गों को सावधान रहना चाहिए और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए।

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